Why should we read the Shiv Puran?

शिव पुराण की महिमा -

भगवान शिव को भोले के रूप में भी जाना जाता है। शिव भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए तमाम तरह के उपाय करते है, किंतु क्या आप जानते है? शिव को प्रसन्न करने के लिए केवल उनके नाम का स्मरण ही पर्याप्त है। भगवान शिव अपने प्रिय भक्तों पर कृपा करने के लिए उनके द्वारा प्रकट प्रेम और दया ही देखते है। शिव पुराण में भी लिखित है, कि यदि शिव को प्रसन्न करना है तो केवल उनके नाम का जाप या शिव पुराण का पाठ ही काफी है। सोमवार का दिन भगवान शिव और देव चंद्रमा के रुप में पूजा जाता है, कहते है भगवान शिव ने चंद्रमा पर विशेष कृपा की, और उन्हें अपने मस्तक पर धारण किया। चंद्रमा को श्राप से मुक्त कर उन्हें निरोगी और सुंदर काया का वरदान दिया, इसलिए भगवान शिव और चंद्रमा का पूजन काफी लाभकारी सिद्ध होता है। आईए अब आपको बताते है शिव पुराण पढ़ने के क्या-क्या फायदे होते है।

 

शैव मत संप्रदाय के लिए यह पवित्र ग्रंथ है। इस धार्मिक ग्रंथ में शिव महिमा का वर्णन है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शिव पुराण का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। शिव पुराण को करने से घर की नकारात्मकता दूर होती है, यदि कोई दुश्मन आपको नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहा है तो वह अपने आप ही शांत हो जाता है। यदि दांपत्य जीवन में संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा है तो शिव पुराण का पाठ करने से जल्द ही संतान सुख प्राप्त होता है, क्योंकि एक प्रचलित कथा के अनुसार जब जामवंती ने श्रीकृष्ण से संतान की इच्छा प्रकट की, तब श्रीकृष्ण ने शिव की तपस्या कर सांब को प्राप्त किया, इसलिए निसंतान भी शिव पुराण का पाठ कर महादेव से आशीर्वाद ले सकते है। यदि किसी के कार्यों में बाधा आती है तो शिव पुराण का पाठ करें।

 

सोमवार के दिन शिव पूजा में शिव पुराण का पाठ किया जाए तो भोलेनाथ अति प्रसन्न होते हैं, लेकिन कई बार हम अज्ञानतावश शिव पुराण को पढ़ते समय सावधानी नहीं बरतते हैं, जिसका वास्तविक फल हमें प्राप्त नहीं हो पाता है। इसलिए शिव पुराण को पढ़ते समय हमें कुछ जरूरी सावधानियां अवश्य ही बरतनी चाहिए। 

 

शिव पुराण को पढ़ने के नियम

  1. शिव पुराण को पढ़ने से पहले मन और तन दोनों ही शुद्ध होने चाहिए।
  2. स्नान के बाद नए एवं साफ वस्त्र धारण करें
  3. किसी के प्रति कोई द्वेश ना रखें
  4. किसी भी व्यक्ति का अनादर ना करें
  5. सात्विक आहार ग्रहण करें, तामसिक आहार और पदार्थ का त्याग करें
  6. किसी की निंदा, चुगली या किसी भी तरह का पाप ना करें
  7. शिव पुराण का पाठ करने से पहले या बाद में किसी का दिल ना दुखाएं।