Why did Brahma Test Krsna?

Shri Krishna And Brahma Story -

यह बात तब की है जब श्री कृष्ण अपने बाल्यावस्था में थे यानी यह कहानी श्री कृष्ण के बचपन की है। उस समय ब्रह्मा जी को पता चला कि भगवान विष्णु स्वयं श्री कृष्ण के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं, तो उनके मन में श्री कृष्ण के दर्शन करने का विचार आया। वह ब्रह्मलोक से पृथ्वी पर आए और देखा कि अपने सिर पर मोर मुकुट को धारण किए एक बालक गायों और ग्वालों के साथ मिट्टी में खेल रहा है।

 

यह दृश्य देखकर ब्रह्मा जी को विश्वास नहीं हुआ कि यह बालक विष्णु जी का अवतार है, लेकिन बच्चे के चेहरे पर अतुल्य तेज था। यह देखकर ब्रह्मा जी ने श्री कृष्ण की परीक्षा लेने का विचार किया।

 

उन्होंने सबसे पहले गायों को वहां से उठा लिया। फिर जब श्री कृष्ण गायों को देखने के लिए गए, तो उन्होंने वहां खेल रहे ग्वालों को भी उठा लिया और अपने साथ ब्रह्मलोक ले गए। जब इसके कुछ देर बाद वह पृथ्वी पर वापस आए, तो वहां का माहौल देखकर चौंक गए, क्योंकि जिन बच्चों और गायों को वे अपने साथ ब्रह्मलोक ले गए थे, वो तो श्री कृष्ण के साथ पृथ्वी पर खेल रहे थे। यह देखकर उन्होंने ध्यान लगाकर ब्रह्मलोक की स्थिति जाननी चाही। उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि सभी बालक और गायें ब्रह्मलोक में ही हैं।

 

यह सब देखकर उन्हें श्री कृष्ण की लीला समझ आ गई और उन्होंने हाथ जोड़कर उनसे क्षमा मांगी। साथ ही प्रार्थना की, कि प्रभु मुझे अपने असली रूप के दर्शन दें। तब श्री कृष्ण ने ब्रह्मा जी को अपना विराट रूप दिखाया। श्री कृष्ण के उस रूप के दर्शन करने के लिए कई और ब्रह्मा भी वहां पर आए गए। उन ब्रह्मा में कुछ तीन सिर के, कुछ चार सिर के, तो कुछ सौ सिर के थे।

 

अपने अलावा अन्य ब्रह्मा को देखकर ब्रह्मदेव ने श्री कृष्ण के विराट रूप से पूछा कि प्रभु यह कैसी लीला है आपकी। इस पर उन्होंने कहा कि हे ब्रह्मदेव इस जगत में केवल आप ही एक ब्रह्मा नहीं हैं। जगत में कई सारे ब्रह्मांड हैं, जहां पर कई सारे ब्रह्मदेव मौजूद हैं और प्रत्येक का अपना-अपना कार्य है। यह सुनकर ब्रह्मदेव ने उन्हें शीश झुकाकर नमस्कार किया और वापस ब्रहमलोक में चले गए.

श्री कृष्ण को क्यों लगा गौ हत्या का पाप?

Shri Krishna Story -

यह बात उस समय की है जब कृष्ण नन्हे से बालक थे. वह अपने नन्द बाबा की गाय-भैंसों को चराया करते थे. उस समय मामा कंस बाल कृष्ण को मारने का प्रयास करते रहते थे. एक बार कंस ने बाल कृष्ण को मारने के लिए अरिष्टासुर नाम के एक राक्षस को भेजा. अरिष्टासुर, श्री कृष्ण की ताकत को जानता था, इसलिए उसने श्री कृष्ण को मारने के लिए अलग तरीका अपनाया।

 

अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का रूप बनाया और गाय के झुंड में शामिल हो गया। झुंड में शामिल होकर वह कृष्ण को मारने का मौका देखने लगा। जब उसे श्री कृष्ण पर वार करने का कोई मौका नहीं मिला, तो उसने कृष्ण के दोस्तों को मारना शुरू कर दिया। जब श्री कृष्ण ने अपने बाल सखाओं की यह हालत देखी, तो उन्हें पता चल गया कि यह किसी राक्षस का काम है। फिर क्या था, भगवान कृष्ण ने गाय रूपी अरिष्टासुर की टांग पकड़ कर उसे जमीन पर पटक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.

 

जब राधा रानी को इस घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने कहा, “कान्हा तुमने गोहत्या की है, जो घोर पाप है. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए तुम्हें सारे तीर्थों की यात्रा करनी होगी.  “श्री कृष्ण को राधा की बात सही लगी, लेकिन सभी तीर्थों की यात्रा करना लगभग नामुमकिन था. इस समस्या का समाधान पाने के लिए श्री कृष्ण नारद मुनि के पास पहुंचे और उनसे इस समस्या का समाधान पूछा, नारद मुनि ने कहा,  प्रभु आप सब तीर्थों को यह आदेश दो कि वे पानी के रूप में आपके पास आ जाएं. फिर आप उस पानी में स्नान कर लेना, इससे आपके ऊपर से गोहत्या का पाप उतर जायेगा”. श्री कृष्ण ने ऐसा ही किया, उन्होंने सारे तीर्थों को बृजधाम बुलाया और पानी के रूप में एक कुंड में भर लिया. इस कुंड को श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी से खोद कर बनाया था. सभी तीर्थों का पानी, बनाए गए कुंड में रख दिया और स्नान करने के बाद श्री कृष्ण के ऊपर से गोहत्या का पाप उतर गया.

 

ऐसा कहा जाता है कि मथुरा से कुछ दूरी पर एक गांव है, जिसका नाम अरिता है. इस गांव में आज भी श्री कृष्ण के द्वारा बनाया गया कुंड मौजूद है।