Magha Purnima 2023: Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Significance, and more

माघ पूर्णिमा 2023 -

सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है.. इस दिन सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि सभी देवतागण इस दिन पृथ्वी पर भ्रमण करने के लिए आते है.. पूर्णिमा पर स्नान, ध्यान, जप आदि का विशेष महत्व है। जो भी याचक इस दिन गंगा नदी में स्नान कर देवताओं का ध्यान करता है उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु का दिन माना जाता है, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष मंत्रों से पूजा की जाती है।

 

इस दिन देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की खास पूजा का विधान है. इस साल माघ पूर्णिमा पर बेहद ही शुभ संयोग बन रहा है जो इस दिन के महत्व को दोगुना कर रहा है. इस दिन कुछ खास उपाय करने से मां लक्ष्मी साधक पर मेहरबान होती है. आइए जानते हैं माघ पूर्णिमा का मुहूर्त, महत्व और उपाय

माघी पूर्णिमा मुहूर्त

सनातन पंचाग के अनुसार माघी पूर्णिमा का आरंभ 4 फरवरी 2023 दिन शनिवार को रात्रि 09 बजकर 44 मिनट से होगा..

 

माघ पूर्णिमा का समापन 6 फरवरी 2023, दिन सोमवार रात्रि 11 बजकर 58 मिनट पर

 

स्नान का समय 5 फरवरी दिन रविवार को प्रात: 05 बजकर 27 मिनट से लेकर 06 बजकर 18 मिनट तक का है।

माघ पूर्णिमा महत्व

मघा नक्षत्र के नाम से ही माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति होती है. ऐसा माना गया है कि माघ माह में सभी देवता पृथ्वी पर आते हैं और मनुष्य रूप धारण करके प्रयाग में स्नान, दान और जप करते हैं. इसी प्रकार इस माह का महत्व अधिक बढ़ जाता है.. कहते है इस दिन लोग अगर प्रयाग या गंगा नदी में स्नान करते है तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. सनातन धर्म में वर्णन मिलता है कि माघ पूर्णिमा के दिन पुष्य नक्षत्र हो तो इस तिथि का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है.

माघ पूर्णिमा उपाय

माघ पूर्णिमा के दिन रात्रि में अष्टलक्ष्मी की अष्टगंध, 11 कमलगट्‌टे चढ़ाने से धन से जुड़ी समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है. मां लक्ष्मी को पूर्णिमा की मध्यरात्रि एक-एक कर कमलगट्‌टा अर्पित करें और श्रीसूक्त का पाठ करें. माघ पूर्णिमा का ये महाउपाय साधक को अपार धन प्राप्ति का वरदान प्रदान करता है.

 

माघ पूर्णिमा पूजा-विधि

पूर्णिमा के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें, यदि संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करें, इसका दो-गुणा फल प्राप्त होता है.. इसके अलावा याचक स्नान के पानी में गंगाजल मिश्रित कर स्नान कर सकते है।


स्नान के पश्चात साफ वस्त्र पहनकर घर के मंदिर में सभी देवी-देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें।


मंदिर में घी का दीपक जलाएं।


पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें, कहते है मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष फल प्राप्त होता है।


पूजा के पश्चात मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को भोग लगाएं, भोग में तुलसी के पत्ते अवश्य रखें.. कहते है भगवान विष्णु तभी भोग ग्रहण करते है जब उसमें तुलसी के पत्ते शामिल हो।


श्रीहरि विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें।


पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का महत्व अधिक माना जाता है, तो चंद्रोदय के समय उन्हें जल अर्पित करें। ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति और शुक्र सही होता है। सभी दोषों से भी मुक्ति मिलती है..


इस दिन दान करना लाभकारी होता है.. जरुरतमंद को इच्छानुसार दान करें।


गायों को घर का बना भोजन कराएं, ऐसा करने से धन और अन्न की समस्या से छुटकारा मिलता है।