Why couldn’t Kubera satisfy Lord Ganesha’s hunger?

Ganesh Aur Kuber Katha -

हिन्दू धर्म के अनुसार कुबेर धन और वैभव के देवता हैं। माना जाता है कि उनके पास ढेर सारा धन है और यह आपने सुना ही होगा कि जरूरत से अधिक पैसा व्यक्ति को अंधा बना देता है। बिलकुल ऐसा ही कुछ धन के देवता कुबेर के साथ भी हुआ। उन्हें लगने लगा कि तीनों लोकों में सबसे ज्यादा धन उन्हीं के पास है और उन्हें इस बात पर घमंड होने लगा।

 

एक दिन अपने धन का दिखावा करने के लिए धन के देवता कुबेर ने महाभोज का आयोजन किया। इस महाभोज में उन्होंने सभी देवतागण को बुलाया। कार्यक्रम का न्योता लेकर वो कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के पास भी गए और उन्हें विशेष अतिथि के रूप में आने का न्योता दिया।

 

भगवान शिव ने एक बार में कुबेर जी के घमंड को भांप लिया और फिर सोचा कि इसे सही पाठ पढ़ाना जरूरी है। यह सोचकर उन्होंने कुबेर से कहा, “कुबेर, हमें तुम्हारा न्योता स्वीकार है, लेकिन किसी जरूरी काम के कारण हम महाभोज में नहीं आ पाएंगे, किंतु तुम चिंता न करो। हमारी जगह, हमारा पुत्र गणेश तुम्हारे महाभोज में जरूर आएगा।

 

भगवान शिव की बात सुनकर कुबेर खुशी-खुशी वहां से चले गए।

 

महाभोज का दिन आ गया। सभी देवतागण कुबेर के घर पधारने लगे। भगवान श्री गणेश भी समय से कार्यक्रम में पहुंच गए। जैसे ही भोजन शुरू हुआ, भगवान गणेश ने सारा भोजन खत्म कर दिया। जब कुबेर ने बाकी मेहमानों के लिए फिर से भोजन बनवाया, तो गणपति ने फिर से सारा भोजन खा लिया। भगवान गणेश कुबेर की रसोई में रखा सारा खाना खत्म करते जा रहे थे, लेकिन उनकी भूख शांत ही नहीं हो रही थी। धीरे-धीरे करके कुबेर के पास मौजूद सभी खाने की चीजें खत्म हो गईं, तो उन्होंने भगवान गणेश से कहा, “प्रभु और खाना आने में समय लगेगा। तब तक आप बैठ जाइए।” इस पर भगवान गणेश ने कहा, “अगर तुमने मुझे अभी भोजन नहीं दिया, तो मैं तुम्हारे महल में रखी हर चीज खा जाऊंगा।”

 

इतना सुनते ही कुबेर घबरा गए और भगवान शिव के पास पहुंच गए. कुबेर देवता ने भगवान शिव को सारी आपबीती बताई, तब भगवान शिव ने कहा कि कभी भी धन का घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि धन की लालसा कभी किसी का पेट नहीं भर सकती। इतना सब सुनकर कुबेर देवता ने भगवान शिव से माफी मांगी और माता पार्वती ने कुबेर जी को आटे का घोल दिया जिसको पीने से भगवान गणेश की भूख शांत हुई, कुबेर देवता को अपनी गलती का एहसास हो गया था, कुबेर जी ने भगवान गणेश के पैरों में गिर गए और उनसे माफी मांग ली और कहां कि मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं और प्रण लेता हूं कि कभी भी धन का घमंड नहीं करूंगा.