नाग पंचमी की पौराणिक कथा में बहनों का महत्व अधिक माना जाता है। दरअसल काफी सालों पहले एक नगर में सेठ के 7 पुत्र थे और उस सेठ ने अपने सभी पुत्रों को अच्छे संस्कार देकर पाला पोसा था। सेठ ने सभी सातों पुत्रों का विवाह समय रहते कर दिया था। सातों बहुए भी काफी संस्कारी थी, लेकिन उन सब में सबसे छोटी वाली बहु अधिक संस्कारी, ज्ञानी और बुद्धिमान थी। एक दिन सबसे बड़ी वाली बहु ने अपनी सभी देवरानियों को घर को लोपने के लिए पीली मिट्टी जंगल से लाने के लिए कहा। जेठानी समेत सभी देवरानी जंगल के लिए निकल गए और खुरपी से मिट्टी खोदना चालू कर दिया।
मिट्टी निकालते समय बड़ी बहू ने एक नाग को देखा और खुरपी लेकर उसे मारने के लिए उठी, ये देख सबसे छोटी वाली बहू ने अपनी जेठानी को रोका और कहने लगी कि उसकी कोई गलती नहीं है, हम ही जंगल में उसके स्थान पर आए है। सबसे छोटी वाली बहू ने नाग से माफी मांगी औऱ कहा कि आप एक जगह पर बैठ जाइए, मैं आपके लिए दूध लेकर आती हूं, लेकिन घर के कामों में व्यस्त होने के कारण छोटी बहू भूल गई… अचानक रात को सबसे छोटी वाली बहू को याद आया कि उसने नाग को इंतजार करने के लिए बोला था। वो तुरंत दूध लेकर नाग के पास गई, तो देखा कि नाग उसी जगह पर प्रतीक्षा कर रहा था। सबसे छोटी वाली बहू ने नाग से कहा… कि भैया मुझे क्षमा करें, मैं आपके पास आना भूल गई। ये सुनकर नाग ने कहा कि तुमने मुझे भैया कहा है इसलिए मैं तुमहें क्षमा करता हूं। नहीं तो अबतक मैं तुम्हें डस चुका होता। आज के बाद में तुम हमेशा के लिए मेरी बहन रहोगी। अब तुम अपने भाई से कोई वरदान मांग लो। मैं तुमसे बहुत खुश हूं।’
इतना सब सुनने के बाद छोटी बहु ने नाग को बोला, ‘मेरा कोई भी सगा भाई नहीं है, इसलिए मैंने आपको भाई कहा… अब से आप मेरे भाई हो औऱ मेरी रक्षा करना आपका फर्ज है। बस यही वरदान मुझे आपसे चाहिए।’ इतना कह कर छोटी बहू वापस अपने घर आ गई, कुछ समय बाद सभी बहुए अपने-अपने मायके जा रही थी औऱ सबसे छोटी वाली बहु को कहा कि तुम्हारा तो कोई भाई ही नहीं है तुम कहा जाओगी? ये बात सुनकर छोटी बहु दुखी हो गई और रोने लगी… बहन को दुखी देख नाग मनुष्य का रूप लेकर अपनी बहन के घर आय़ा और सेठ को कहा कि मैं अपनी बहन को कुछ दिनों के लिए अपने घर ले जाने आया हूं, आप उसको जाने की अनुमति दे। सेठ जी ने कहा कि छोटी बहु का कोई भाई नहीं है, तो तुम उसको अपनी बहन क्यों बता रहे हो, तभी नाग ने कहा कि मैं दूर का भाई हूं, इसलिए अपनी बहन को ले जाने आया हूं। सेठ जी ने छोटी बहू को जाने की अनुमति दे दी। नाग ने अपनी बहन से पूछा कि तुम मुझे भूल तो नहीं गई हो ना? तो बहन ने कहा कि आपको मैं कैसे भूल सकती हूं आपने तो मुझे अपनी बहन माना है और उसी का मैं पालन कर रही हूं… नाग अपनी बहन को लेकर अपनी माता के पास गया और कहा कि मां ये मेरी बहन है औऱ हमारे पास कुछ समय के लिए रहने आई है। मां ने खुशी-खुशी उसको अपने साथ रखा और खूब प्यार दिया। एक बार नाग की मां नाग को दूध पिला रही थी, तभी छोटी बहु ने कहा कि अब से ये कार्य मैं करूंगी, तभी मां ने खुश होकर ये कार्य उसको सौप दिया… छोटी बहु को पता नहीं था कि उसका भाई गर्म दूध नहीं पिता है और भूलवश उसने अपने भाई को गर्म दूध दे दिया जिसके कारण उसका फन्न जल गया। ये देख नाग की मां को गुस्सा आय़ा और उसने छोटी बहू को डसना का सोचा, ये देख नाग ने अपनी मां को समझाया कि उसे ये नहीं पता था, उसकी बहन से भूल हुई है। फिर नाग की मां का गुस्सा शांत हुआ और उसने छोटी बहू को घर जाते समय काफी धन दिया… जब सभी बहुओं ने देखा कि छोटी बहु को खूब सारा धन मिला, तो वो आश्चर्यचकित रह गई… थोड़ी देर बाद छोटी बहू का भाई अपनी बहन के लिए एक सुंदर सा हार लेकर आया, जिसको देखकर सब हैरान रह गए… उस हार के चर्चे पूरे गांव में फैल गए थे… तभी उस गांव की रानी ने वो हार अपने महल में लाने के लिए, सैनिक सेठ के घर जाकर उस हार को लेकर रानी को दे दिया…
अपने भाई का दिया हार, किसी ओर को देने के बाद वो खूब रोई और ये देखकर नाग ने उस हार को सांप में बदल दिया… रानी ने तुरंत वो हार अपने गले से निकालकर फेक दिया और उस सेठ को बुलाने का आदेश दिया… सेठ और छोटी बहू दोनों महल गए, जिसके बाद हार के बारें में छोटी बहु ने कहा कि ये मुझे मेरे नाग भाई ने दिया है अगर कोई दूसरा इसको धारण करेगा तो ये सांप में बदल जाएगा… इतना सुनने के बाद रानी के उस सर्प को पहनने के लिए कहा… जैसे ही छोटी बहु ने वो सर्प को अपने गले में पहना, तो वो वापस हार बन गया… ये देख रानी को यकीन हुआ और उसने छोटी बहु को वो हार वापस कर दिया और खूब धन देकर भेजा… तभी नाग देवता प्रकट हुए और कहा कि ये मेरी बहन है अगर किसी ने उसे दुखी किया तो मैं उस को डस कर मार दूंगा… तभी से ये प्रथा चलती आ रही है कि जो भी महिला नाग देवता की पूजा पूरी श्रद्धा से करती है नाग देवता उनको रक्षा सदैव करते है…
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