एक बार की बात है, राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था… कोई भी धार्मिक कार्य करना मुश्किल हो गया था… राक्षसों ने पूरी पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था… राक्षस स्वर्ग पर भी अपना अधिकार जमाना चाहते थे, देवराज इंद्र उस समय स्वर्ग के राजा थे, वो स्वर्ग के सभी देवतागणों को लेकर भगवान विष्णु के पास गए… उन्होनें भगवान विष्णु से प्रार्थना की और कहा कि हे प्रभु, आप ही हमें राक्षसों के प्रकोप से मुक्ति दीजिए… भगवान विष्णु देवताओं की दशा देख भी रहे थे और सब समझ भी रहे थे, उन्हें ज्ञात था कि इस समस्या का समाधान वो खुद नहीं बल्कि भगवान शिव कर सकते है.
भगवान विष्णु, भगवान शिव को अपना आराध्य मानते है और भगवान शिव, भगवान विष्णु को अपना आराध्य मानते है… देवताओं के सहायता करने के लिए भगवान विष्णु ने हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों पर भगवान शिव की घोर तपस्या में विलीन हो गए… भगवान विष्णु, भगवान शिव के एक हजार नामों का जाप करने लगे, हर नाम के साथ उन्होने एक कमल का फूल चढ़ाने का संकल्प लिया… ये सब देख भगवान शिव ने सोचा कि क्यों ना आज मैं अपने आराध्य भगवान विष्णु की परीक्षा लूं, उन्हें ज्ञात था कि देवताओं पर मुसीबत आई है और भगवान विष्णु उनकी सहायता के लिए मेरा तप कर रहे है.
भगवान शिव ने भगवान विष्णु की परीक्षा लेने के लिए एक हजार कमल के फूल में से एक कमल का फूल गायब कर दिया… भगवान विष्णु शिव की तपस्या में लीन होने के कारण उन्हें इस बात की अनुभूति नहीं हुई और वो तपस्या करते रहे… भगवान विष्णु तपस्या करते समय भगवान शिव का एक नाम पुकारते और एक कमल का फूल चढ़ाते, जब अंतिम नाम की बारी आई तो भगवान विष्णु ने देखा कि कमल एक कम पढ़ गया, अगर कमल नहीं चढ़ाते तो उनकी तपस्या और संकल्प भंग हो जाएगा, इसलिए भगवान विष्णु ने कमल की जगह अपनी एक आंख चढ़ा दी.
भगवान शिव ने जब भगवान विष्णु जी की इस भक्ति को देखा, तो भावुक हो गए और प्रसन्न होकर प्रकट हुए, भगवान शिव ने भगवान विष्णु जी को वरदान मांगने को कहा… भगवान विष्णु ने कहा कि हे आराध्य, आप सब जानते है, राक्षसों ने देवताओं पर आक्रमण किया है उनका संहार करने के लिए आप ही अजय शस्त्र प्रदान कर सकते है, वरदान के रूप में मुझे वो शस्त्र दीजिए… भगवान शिव ने विष्णु जी को अजय शस्त्र के रूप में सुदर्शन चक्र प्रदान किया, जिससे भगवान विष्णु ने सभी राक्षसों का वध उस चक्र के माध्यम से किया… सुदर्शन चक्र एकमात्र ऐसा शस्त्र है जिससे किसी भी राक्षस को मारा जा सकता है, सभी शस्त्रों का स्वामी है सुदर्शन चक्र.
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