गुप्त नवरात्रि 2023 -

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।

 

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते

 

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित: ।

 

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ॥

 

गुप्त नवरात्रि में गुप्त साधना करने से याचक देवी भगवती का विशेष फल प्राप्त करता है.. गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्री से भिन्न है, क्योंकि इसमें गुप्त साधना, तंत्र-मत्र की विद्याओं की पूजा की जाती है.. गुप्त नवरात्रि की साधना काली रात्रि में और श्मशान में की जाती है.. गुप्त नवरात्रि की साधना करने वाले याचक देवी को प्रसन्न करने और तमाम शक्तियां जागृत करने के लिए 9 दिनों तक दस महाविद्याओं की पूजा करते हैं.. ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के समय ऋषि विश्वामित्र ने 9 दिनों तक दस महाविद्याओं की गुप्त रुप से अराधना कर देवी को प्रसन्न किया, जिसके बाद उनकी सिद्धियां इतनी प्रबल हो गई थी, कि उन्होनें अलग संसार का निर्माण किया था.

 

गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधनाएं करने शमशान व गुप्त स्थान पर जाते हैं. नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं.. सभी नवरात्रों में माता के सभी 51 शक्तिपीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं.. माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजिनक रूप से माता की भक्ति करने का विधान है.. आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में जहां वामाचार उपासना की जाती है.. वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है, ग्रंथों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है.

 

माघ माह में गुप्त नवरात्रि की तिथि 22 जनवरी 2023, दिन रविवार से आरंभ होकर 30 जनवरी 2023, दिन सोमवार को समाप्त होगी.. अब जानते है, गुप्त रूप से साधना करने का मुहूप्त और दस महाविद्याओं के बारे में.

 

माघ गुप्त नवरात्रि मुहूर्त

सनातन पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 जनवरी 2023 को प्रात: 02 बजकर 22 मिनट पर आरंभ होगी और 22 जनवरी को ही रात 10 बजकर 27 मिनट पर प्रतिपदा तिथि का समापन भी है.. ऐसे में साधक 22 जनवरी को ही गुप्त साधनाओं की पूजा का आरंभ करेंगा.

 

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा

गुप्त नवरात्रि के दौरान मां भगवती के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है।

 

  1. मां काली
  2. मां तारा
  3. मां षोडशी त्रिपुर सुंदरी
  4. मां भुवनेश्वरी
  5. मां छिन्नमस्ता
  6. मां भैरवी
  7. मां धूमावती
  8. मां बगला
  9. मां मातंगी
  10. मां कमला

 

गुप्त नवरात्रि का महत्व

गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना एवं महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है.. गुप्त नवरात्रि में देवी माँ के साधक बेहद कड़े नियमो के साथ व्रत एवं साधना करते हैं.. गुप्त नवरात्रि के दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिए लम्बे समय तक साधना करनी पड़ती है.. गुप्त नवरात्र के दौरान कई व्यक्ति महाविद्या यानि तंत्र साधना के लिए तारा देवी,मां काली, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माता बगलामुखी, मातंगी, मां ध्रूमावती और कमला देवी की पूजा करते हैं.. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपनी खोयी हुयी शक्तियों को पाने के लिए नवरात्र में ही साधना की थी, इसलिए इस समय आदिशक्ति की आराधना पर अधिक समय देना माना गया है।