Dhumavati Devi Story -

देवी पार्वती की पूजा हर सुहागन स्त्री अपने सुहाग की रक्षा और सौभाग्य वृद्धि के लिए करती हैं। लेकिन देवी पार्वती का ही एक ऐसा रूप है जिनकी पूजा करने से सुहागन स्त्रियां डरती हैं। इसकी एक बड़ी वजह है। दरअसल देवी पार्वती अपने इस रूप में एक विधवा स्त्री की तरह दिखती हैं और वैधव्य का प्रतीक मानी जाती हैं। सुहाग पर वैधव्य का प्रभाव ना हो इसलिए ही सुहागन स्त्रियां इनकी पूजा नहीं करती हैं। हलांकि दूर से इनके दर्शन करती हैं। देवी पार्वती के इस स्वरूप को धूमावती के नाम से जाना जाता है।

 

देवी पार्वती सुहागन से विधवा कैसे बनीं और क्यों धूमावती कहलाईं इसकी अजब-गजब कथा है। एक बार देवी पार्वती को बहुत तेज भूख लगती है और वह भगवान शिव से कुछ भोजन की मांग करती हैं। महादेव देवी पार्वती से कुछ समय प्रतीक्षा करने को कहते हैं। भगवान शिव भोजन की तलाश में निकलते हैं। धीरे-धीरे समय बीतने लगता है परंतु भोजन की व्यवस्था नहीं हो पाती है। देवी पार्वती भूख से व्याकुल हो उठती हैं। भूख से व्याकुल पार्वती जी भगवान शिव को ही निगल जाती हैं।

 

शिव को निगलते ही देवी पार्वती का स्वरूप विधवा जैसा हो जाता है। दूसरी ओर शिव के गले में मौजूद भयंकर विष के कारण देवी पार्वती का शरीर धुंआ जैसा हो जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत विकृत और श्रृंगार विहीन दिखने लगता है। तब भगवान शिव माया द्वारा देवी पार्वती से कहते हैं कि देवी, धुएं से व्याप्त शरीर के कारण तुम्हारा एक नाम धूमावती होगा। शंकर भगवान कहते हैं कि मुझे निगलने के कारण अब आप विधवा हो गई हैं इसलिए देवी अब आप इसी स्वरूप में पूजी जाएंगी। इस वजह से माता को धूमावती के नाम से जाना जाता है।

 

देवी धूमावती के साथ भगवान शिव की लीला

 

देवी पार्वती के इस स्वरूप के पीछे एक कथा यह भी है कि देवी पार्वती के मन में एक बार विधवा कैसी होती है यह जानने का विचार जगा और भगवान शिव से कहने लगीं कि वह वैधव्य को महसूस करना चाहती हैं। देवी पार्वती की इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए ही भगवान शिव ने यह लीला रची थी जिसमें उलझकर देवी पार्वती ने स्वयं ही महादेव को निगल लिया।

 

भयंकर स्वरूप देख डर जाते है लोग

 

माता धूमावती का रूप अत्यंत भयंकर हैं इन्होंने ऐसा रूप शत्रुओं के संहार के लिए ही धारण किया है। धार्मिक मान्यता है कि शंकर भगवान को खाने के कारण माता पार्वती विधवा हो गई थीं, इसलिए माता धूमावती का यह स्वरूप विधवा का है। केश बिखरे हुए हैं। माता धूमावती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और इनके केश खुले रहते हैं। इनके रथ के ध्वज पर कौए का चिह्न है। इन्होंने हाथ में सूप धारण किया हुआ है। कौआ माता धूमावती का वाहन माना जाता है।